बचपन का जमाना होता था
खुशियों का खजाना होता था,
चाहत चाँद को पाने की
दिल तितली का दीवाना होता था,
खबर न थी कुछ सुबह की
न शामों का ठिकाना होता था,
थक-हार के आना स्कूल से
पर खेलने भी जाना होता था,
दादी की कहानी होती थीं
परियों का फसाना होता था,
बारिश में कागज की कसती थी
हर मौसम सुहाना होता था,
हर खेल में साथी होते थे
हर रिश्ता निभाना होता था,
पापा की वो डांटें गलती पर
माँ का मनाना होता था,
कैरियर की टेंशन न होती थी
ना ऑफिस को जाना होता था,
रोने की वजह ना होती थी
ना हंसने का बहाना होता था,
अब नहीं रही वो जिन्दगी
जैसा बचपन का जमाना होता था
‘डाक सेवा–जन सेवा’ के मूल मंत्र के अनुरूप कार्य करते हुए भारतीय डाक विभाग
देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक सेवाएँ पहुँचाने में निभा रहा अग्रणी
भूमिका-पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव
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भारतीय डाक विभाग ‘डाक सेवा–जन सेवा’ के मूल मंत्र के अनुरूप कार्य करते हुए
देश के ग्रामीण एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक विश्वसनीय सेवाएँ पहुँचाने में
अग्रणी...
1 हफ़्ते पहले
