सोमवार, 25 अक्टूबर 2010

बचपन का जमाना

बचपन का जमाना होता था
खुशियों का खजाना होता था,
चाहत चाँद को पाने की
दिल तितली का दीवाना होता था,

खबर न थी कुछ सुबह की
न शामों का ठिकाना होता था,
थक-हार के आना स्कूल से
पर खेलने भी जाना होता था,

दादी की कहानी होती थीं
परियों का फसाना होता था,
बारिश में कागज की कसती थी
हर मौसम सुहाना होता था,

हर खेल में साथी होते थे
हर रिश्ता निभाना होता था,
पापा की वो डांटें गलती पर
माँ का मनाना होता था,

कैरियर की टेंशन न होती थी
ना ऑफिस को जाना होता था,
रोने की वजह ना होती थी
ना हंसने का बहाना होता था,

अब नहीं रही वो जिन्दगी
जैसा बचपन का जमाना होता था

1 टिप्पणी:

S R Bharti ने कहा…

Kavita ke sang Bachpan mein khoo gaye hum.
bahut achhi tukbandi uttam bhav snjoye.