बचपन का जमाना होता था
खुशियों का खजाना होता था,
चाहत चाँद को पाने की
दिल तितली का दीवाना होता था,
खबर न थी कुछ सुबह की
न शामों का ठिकाना होता था,
थक-हार के आना स्कूल से
पर खेलने भी जाना होता था,
दादी की कहानी होती थीं
परियों का फसाना होता था,
बारिश में कागज की कसती थी
हर मौसम सुहाना होता था,
हर खेल में साथी होते थे
हर रिश्ता निभाना होता था,
पापा की वो डांटें गलती पर
माँ का मनाना होता था,
कैरियर की टेंशन न होती थी
ना ऑफिस को जाना होता था,
रोने की वजह ना होती थी
ना हंसने का बहाना होता था,
अब नहीं रही वो जिन्दगी
जैसा बचपन का जमाना होता था
Shree Dwarkadhish Temple : द्वारकाधीश श्री कृष्ण की द्वारका नगरी आज भी
रहस्यमयी है
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वर्तमान उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृन्दावन में पले-बढे और रास-लीला रचाते
कृष्ण-कन्हैया गुजरात में आकर द्वारकाधीश हो जाते हैं। हम लोग उनकी बाल-लीला,
रास-ली...
6 दिन पहले
1 टिप्पणी:
Kavita ke sang Bachpan mein khoo gaye hum.
bahut achhi tukbandi uttam bhav snjoye.
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