बचपन का जमाना होता था
खुशियों का खजाना होता था,
चाहत चाँद को पाने की
दिल तितली का दीवाना होता था,
खबर न थी कुछ सुबह की
न शामों का ठिकाना होता था,
थक-हार के आना स्कूल से
पर खेलने भी जाना होता था,
दादी की कहानी होती थीं
परियों का फसाना होता था,
बारिश में कागज की कसती थी
हर मौसम सुहाना होता था,
हर खेल में साथी होते थे
हर रिश्ता निभाना होता था,
पापा की वो डांटें गलती पर
माँ का मनाना होता था,
कैरियर की टेंशन न होती थी
ना ऑफिस को जाना होता था,
रोने की वजह ना होती थी
ना हंसने का बहाना होता था,
अब नहीं रही वो जिन्दगी
जैसा बचपन का जमाना होता था
भारत@79: अटूट शक्ति की ओर..... "79 वर्षों की यात्रा से विश्व-नेतृत्व की
दहलीज़ तक — भारत का समय अब है।"
-
"उन्नासी वर्ष की यात्रा में भारत ने संघर्ष से सफलता, और सफलता से नेतृत्व की
राह तय की है। आज हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र, उभरती अर्थव्यवस्था और
सांस्क...
3 दिन पहले
1 टिप्पणी:
Kavita ke sang Bachpan mein khoo gaye hum.
bahut achhi tukbandi uttam bhav snjoye.
एक टिप्पणी भेजें